अब जो दारिया चढ़ेगा उस पार देखेंगे,
दिन रात जिसकी आरज़ू है मिला तो बार बार देखेंगे,
जानते हैं ये मेरा दोस्त मेरा नहीं है
हम कब तक ये माजरा चुप-चाप देखेंगे!
No comments:
Post a Comment